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जूनियर कैसे बनाए उपनिदेशक

सोलन — प्रदेश शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर से सवालिया निशान लगा है। जूनियर प्रधानाचार्य को विभाग ने पदोन्नति देकर उपनिदेशक बना दिया, जबकि प्रदेश के सैकड़ों सीनियर प्राधानाचार्यों को दरकिनार कर दिया गया है। विभाग द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद प्रदेश के करीब 600 प्रधानाचार्यों में रोष पनप रहा है। एडहॉक प्राधानाचार्य की पदोन्नति पर स्कूल प्राधानाचार्य एसोसिएशन ने भी कड़ा रोष जताया है और सरकार से मांग की है कि इस फैसले को वापस लिया जाना चाहिए। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा. नरेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश शिक्षा विभाग की दशा चिंताजनक बनी हुई है। विभाग की गलत नीतियों की वजह से शिक्षकों में रोष पनप रहा है। उन्होंने बताया कि हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा 16 एडहॉक पर रखे गए प्रधानाचायों को उपनिदेशक बनाया गया है, जिसके बाद विभाग की प्रशासनिक विसंगतियां सामने आई हैं। डा. नरेंद्र शर्मा ने बताया कि इस सूची में हैडमास्टर कैडर के 2008 के एडहॉक प्रधानाचार्य, प्रवक्ता कैडर के 2001, 2003, 2005 व 2007 के प्रधानाचार्यों को उपनिदेशक पदों पर पदोन्नत किया गया है। विभाग द्वारा नियमित प्रधानाचार्यों की बजाए एडहॉक प्रधानाचार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है। डा. नरेंद्र शर्मा ने कहा कि 2001, 2003 व 2005 के प्रवक्ता कैडर के प्रधानाचार्यों के अधीन कार्य कर चुके प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक टीजीटी पदोन्नत प्रवक्ताओं को पहली पदोन्नति हैडमास्टर, दूसरी पदोन्नति प्रधानाचार्य तथा तीसरी पदोन्नति उपनिदेशक प्राप्त की है। इनकी एसीआर वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखने वाले प्रधानाचार्य जस के तस ही हैं। इससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश के वरिष्ठ 600 प्रधानाचार्यों में प्रशासनिक अंसतोष, निराशा, हताशा, मानसिक कुंठा व द्वेष की भावना को जन्म देगी, जबकि ऐसोसिएशन महासचिव विनोद चौधरी ने कहा कि शिक्षा विभाग में ऐसी सभी विसंगतियां पैदा करने वाले तमाम भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए।

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